School Prayer

नैतिकता की सुर सरिता मे जन-जन-मन पावन हो,

संयममय जीवन हो ।


अपने से अपना अनुशासन, अणुव्रत की परिभाषा,

वर्ण, जाति या संप्रदाय से मुक्त धर्म की भाषा,

छोटे-छोटे संकल्पो से मानस परिवर्तन हो,

संयममय जीवन हो ।


मैत्रीभाव हमारा सबसे प्रतिदिन बढ़ता जाये,

समता, सह अस्तित्व, समन्वय नीति सफलता पाये,

शुद्ध साद्य के लिए नियोजित मात्र शुद्ध साधन हो,

संयममय जीवन हो ।


विद्यार्थी या शिक्षक हो मजदूर और व्यापारी,

नर हो नारी बने नीतिमय जीवनचर्या सारी,

कथनी करनी की समानता में गतिशील चरण हो,

संयममय जीवन हो ।


प्रभु बनकर के ही हम प्रभु की पूजा कर सकते हैं,

प्रामाणिक बनकर ही संकट सागर तर सकते हैं,

आज अहिंसा शौर्य-वीर- संयुक्त जीवन-दर्शन हो,

संयममय जीवन हो ।


सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, राष्ट्र स्वयं सुधरेगा,

तुलसी, अणुव्रत सिंहनाद सारे जग में प्रसरंगा,

मानवीय आचार सहिता में अर्पित तन-मन हो,

संयममय जीवन हो ।